गन्ना मूल्य बढ़ोतरी: योगी सरकार ने कर दिया तोफहा?

किसानों की उम्मीदें और सरकार का रुख

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। पिछले कुछ सालों से गन्ने की लागत लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन दाम में उतनी बढ़ोतरी नहीं हो पाई। अब, जब पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों ने गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की घोषणा की है, तो उत्तर प्रदेश के किसान भी उम्मीद लगाए बैठे थे कि राज्य सरकार गन्ने के मूल्य में वृद्धि करेगी। हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर फिलहाल कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया है, जिससे किसानों में निराशा का माहौल है।

पंजाब और हरियाणा ने किया दाम बढ़ाने का ऐलान

इस साल, पंजाब और हरियाणा ने गन्ने के दाम में बढ़ोतरी की है। पंजाब ने गन्ने का मूल्य ₹10 प्रति क्विंटल बढ़ाकर ₹300 प्रति क्विंटल से ऊपर कर दिया है। वहीं, हरियाणा में गन्ने का मूल्य ₹380 प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इन दोनों राज्यों में गन्ने के दाम बढ़ने से उत्तर प्रदेश के किसान भी आशा कर रहे थे कि यहां भी गन्ने की कीमतें बढ़ाई जाएंगी, लेकिन अब तक उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है।

गन्ने की लागत और किसानों की समस्याएँ

उत्तर प्रदेश के किसान अपनी समस्याओं को लेकर चिंतित हैं। गन्ने की लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन मूल्य में उतनी बढ़ोतरी नहीं हो रही। गन्ने की छिलाई की लागत ₹70 से ₹80 प्रति क्विंटल तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा, मजदूरी, खाद और कीटनाशकों पर भी खर्च बढ़ गया है। गन्ने की नई किस्मों में बीमारियों का भी सामना किसानों को करना पड़ रहा है, जिससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है। कई किसान गन्ने की पुरानी किस्म 0228 की वापसी की मांग कर रहे हैं, क्योंकि इस किस्म से बेहतर उत्पादन होता था।

उत्तर प्रदेश सरकार का रुख

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर प्रताप साही ने साफ किया है कि इस साल गन्ने के दाम में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि हर साल गन्ने के दाम बढ़ाना मुमकिन नहीं है और पिछले साल के मुकाबले इस साल दाम में कोई बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं आया है, और किसानों को भी यह नहीं पता कि दाम कब और कितने बढ़ेंगे। मौजूदा समय में गन्ने का मूल्य ₹380 से ₹390 प्रति क्विंटल के बीच रह सकता है।

आगे की स्थिति और किसानों की उम्मीदें

किसान इस समय बहुत परेशान हैं क्योंकि उनकी लागत बढ़ रही है, लेकिन उन्हें सही मूल्य नहीं मिल रहा। अगर यह समस्या हल नहीं होती, तो गन्ने की मिलें बंद हो सकती हैं और किसान दूसरी फसलों की ओर रुख कर सकते हैं। ऐसे में सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और किसानों के हित में जल्द कदम उठाने चाहिए।

किसानों की मुख्य मांग है कि गन्ने का मूल्य ₹450 से ₹500 प्रति क्विंटल के बीच होना चाहिए, ताकि उनकी लागत पूरी हो सके और उन्हें मुनाफा हो। यदि सरकार जल्द ही कोई निर्णय नहीं लेती, तो गन्ने का उत्पादन और मिलों की स्थिति और खराब हो सकती है।

उत्तर प्रदेश में गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी को लेकर किसानों की उम्मीदें अभी पूरी नहीं हुई हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार कब इस मुद्दे पर निर्णय लेती है और गन्ने के मूल्य में कितनी वृद्धि होती है। किसानों की समस्याओं को हल करना बेहद जरूरी है ताकि वे अपनी मेहनत का सही मूल्य पा सकें और कृषि क्षेत्र को और अधिक सशक्त बना सकें।

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