किसानों की उम्मीदें बढ़ी
इस समय एक बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार गन्ने का भाव बढ़ेगा या नहीं। गन्ना किसानों की उम्मीदें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार गन्ने का भाव बढ़ाएगी या नहीं। पिछले साल 18 जनवरी को गन्ने का भाव बढ़ाया गया था और इस बार भी किसानों को उम्मीद है कि सरकार गन्ने का भाव बढ़ा सकती है।
गन्ना मंत्री का बयान
हाल ही में उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा था कि सरकार गन्ने का भाव बढ़ाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि 10 से 15 जनवरी के बीच कैबिनेट की बैठक में गन्ने के भाव पर चर्चा हो सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि कितना भाव बढ़ाया जाएगा। लेकिन किसानों के लिए यह अच्छा संकेत है।
गन्ना भाव में बढ़ोतरी की उम्मीद
गन्ना भाव में बढ़ोतरी की मांग बढ़ रही है। किसानों का कहना है कि गन्ने की खेती की लागत बढ़ गई है और उत्पादन भी कम हो रहा है। अगर इस बार गन्ने का भाव नहीं बढ़ा तो भविष्य में गन्ने की खेती और भी कम हो सकती है। इससे मिलों को भी घाटा होगा।
मिलों पर दबाव
गन्ने की खेती का रकबा घट रहा है और उत्पादन भी कम हो रहा है। मिलों को डर है कि अगर गन्ने का भाव नहीं बढ़ाया गया तो गन्ने की आपूर्ति और भी कम हो सकती है। इससे मिलों के बंद होने का खतरा भी हो सकता है। इसलिए मिल मालिक भी सरकार से गन्ने के भाव में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं।
किसान संगठन की मांग
किसान संगठनों ने भी गन्ने के भाव में बढ़ोतरी की मांग की है। उनका कहना है कि गन्ने का भाव 400 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए, ताकि किसानों को उनकी लागत निकालने में मदद मिल सके। संगठनों का मानना है कि गन्ने का भाव बढ़ने से किसानों को राहत मिलेगी और गन्ने की खेती का रकबा भी बढ़ेगा।
किसान भाइयों की राय
अब देखना यह है कि सरकार गन्ने के भाव में कितनी बढ़ोतरी करती है और इसे कब लागू करती है। गन्ने का उत्पादन कम हो रहा है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि गन्ने का मूल्य बढ़ाया जाए, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके।