मध्य प्रदेश के नीमच और मंदसौर जिलों में अफीम की खेती अपने अंतिम चरण में है। किसान अफीम के डोडों में चीरा लगाकर अफीम निकालने की प्रक्रिया में व्यस्त हैं, जो लगभग डेढ़ महीने तक चलती है। इस दौरान अफीम की फसल की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गई है।
एलईडी लाइट्स से निगरानी
किसान अपनी फसल की सुरक्षा के लिए विभिन्न उपायों का सहारा ले रहे हैं। इन उपायों में एलईडी लाइट्स का उपयोग विशेष रूप से प्रभावी साबित हो रहा है। रात के समय खेतों में एलईडी लाइट्स लगाकर किसान शिफ्टों में निगरानी रखते हैं, जिससे चोरों और नशेड़ियों की गतिविधियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। एलईडी लाइट्स की चमक और रंग बदलने की क्षमता से खेतों में सुरक्षा बढ़ाई जा रही है।
तोतों और नीलगायों से खतरा
हालांकि, अफीम की फसल को तोतों और नीलगायों से भी खतरा है। तोते अफीम के डोडों को चुराकर नशे के आदी हो गए हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। नीलगायें भी फसल को नुकसान पहुंचाती हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए किसान खेतों के आसपास जालियां और तार लगाते हैं, लेकिन इन उपायों के बावजूद तोते और नीलगायें फसल को नुकसान पहुंचाते रहते हैं।
किसानों की चिंताएं
किसान अपनी फसल की सुरक्षा के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन तोतों और नीलगायों की गतिविधियों से उनकी मेहनत पर पानी फिर रहा है। किसान अपनी फसल को बचाने के लिए विभिन्न उपायों का सहारा ले रहे हैं, लेकिन इन समस्याओं का स्थायी समाधान अभी तक नहीं मिल पाया है।
नशे के आदी हो रहे तोते
अफीम के डोडों को चुराकर खाने वाले तोते नशे के आदी हो गए हैं, जिससे उनकी गतिविधियों में वृद्धि हो रही है। यह स्थिति किसानों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण बन गई है, क्योंकि तोते फसल को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ नशे के आदी हो गए हैं।
मध्य प्रदेश के अफीम उत्पादक क्षेत्रों में फसल की सुरक्षा एक गंभीर चुनौती बन गई है। एलईडी लाइट्स का उपयोग एक प्रभावी उपाय साबित हो रहा है, लेकिन तोतों और नीलगायों की समस्याओं का समाधान अभी भी आवश्यक है। किसानों की मेहनत और संघर्ष को देखते हुए, सरकार और संबंधित विभागों को इन समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए, आप नीचे दिए गए वीडियो को देख सकते हैं, जिसमें तोतों के अफीम की फसल पर हमले और किसानों की चिंताओं के बारे में विस्तार से बताया गया है: